उत्तर प्रदेश सरकार का दावा, जपानी बुखार से होने वाली मौतों में आई है भारी कमी
सेहतराग टीम
उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया कि इस साल जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के कारण होने वाली मौतों में भारी गिरावट आई है। सूत्रों के अनुसार साल 2016 में एईएस के 3911 मरीज भर्ती किए गए जिनमें से 641 की मौत हो गई। वहीं 2017 में करीब 4724 मामले आए जिनमें से 655 की मृत्यु हो गई। पिछले साल 3077 मरीज भर्ती हुए और मौत का आंकड़ा 248 रहा। प्रदेश में 2019 में जेई के 229 मामले आए और इससे 18 बच्चों की मौत हुई है। वहीं इसी अवधि में एईएस के 2,026 मामले आए जिनमें से करीब 100 की मौत हुई है।
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हाल ही में समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में पिछले एक साल के दौरान दिमागी बुखार से पीड़ित बच्चों का गलत इलाज होने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच किसी मौजूदा न्यायाधीश से कराने की मांग की थी। उन्होंने सोमवार को कहा था कि गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में जनवरी 2019 से अक्टूबर 2019 के बीच खून की जांच से पता चला कि करीब 1,800 बच्चे दिमागी बुखार से पीड़ित हैं। लेकिन सरकार ने 'अपने आंकड़े सही रखने के लिए इनकी संख्या मात्र 500 बतायी है।
सपा अध्यक्ष ने कहा था कि उनकी जानकारी के अनुसार, गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में जनवरी-अक्टूबर, 2019 के बीच करीब 1,500 बच्चों की मौत हुई है।
इसपर सरकार के प्रवक्ता सिद्घार्थनाथ सिंह ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि सपा अध्यक्ष बच्चों की मौत पर राजनीति कर रहे हैं। वह जो आंकड़े बता रहे हैं, वह पूरी तरह गलत हैं।
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सिंह ने कहा कि 2016 के मुकाबले अब बच्चों के मरने की घटनाओं में 65 से 70 प्रतिशत तक कमी आयी है। यहां तक कि दोनों बीमारियों के संक्रमण में भी 70 से 80 फीसदी कमी आयी है। उन्होंने कहा कि टीकाकरण के के कारण जेई के मामलों में काफी कमी आयी है। 2017 से 2019 के बीच करीब डेढ. करोड़ टीके लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि एईएस में कोई टीकाकरण नहीं होता है। उससे बचाव का एकमात्र तरीका घर और आसपास स्वच्छता रखना है।
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